Wednesday, December 12, 2018

मध्य प्रदेश के नतीजे आने में आख़िर इतनी देरी क्यों हुई

बात यह थी कि स्वेच्छा से इसे चुनने वाली महिलाओं से क्या वाक़ई यह अपेक्षित था कि वे शारीरिक तौर पर वर्जिन हों.
महिलाएं अगर नन बनना चाहें तो वे उसी दिन से कुंवारेपन की शपथ लेकर नन बन सकती हैं. लेकिन 'ईश्वर की पत्नियों' से जीवन भर वर्जिन होने की अपेक्षा की जाती है.
इन दिशानिर्देशों के विवादित सेक्शन 88 के मुताबिक़, वैटिकन यह कहता है कि अपने शरीर को पूरी तरह आत्मसंयमित रखना या पवित्रता के मूल्यों का अनुकरणीय ढंग से पालन करना महत्वपूर्ण है, लेकिन यह 'कॉन्सीक्रेटेड वर्जिन' बनने की अनिवार्य और पहले से आवश्यक शर्त नहीं है.
यूएसएसीवी ने इन दिशार्निदेशों को हैरतअंगेज़ और जटिल बताया.
उन्होंने अपने बयान में लिखा कि इस पूरी परंपरा में ईश्वर की पत्नी का दर्जा हासिल करने के लिए शारीरिक और आध्यात्मिक कुंवारापन सबसे अहम है.
जेसिका कहती हैं कि काश दिशानिर्देशों में कुछ और सफ़ाई से इस बारे में लिखा गया होता. वह कहती हैं, "दिशानिर्देश कहते हैं कि महिलाएं अविवाहित होनी चाहिए और न ही पवित्रता के सार्वजनिक और घोर उल्लंघन में लिप्त होनी चाहिए."
"हो सकता है कि किसी महिला के साथ अतीत में कोई घटना हुई हो या हो सकता है कि उसका बलात्कार हुआ हो और वह वर्जिन न रही हो."
वह कहती हैं कि अंतत: यह कैथोलिक महिलाओं को इस बारे में प्रेरित करने के लिए है.
"और शायद इसकी संख्या भी इसलिए बढ़ रही है क्योंकि लोगों को ईश्वर के प्रति ऐसे उग्र समर्पण के साथ रहने की ज़रूरत है. शायद चर्च को आज इसी बात की ज़रूरत है."
बीबीसी 100 वुमन दुनिया की 100 प्रभावशाली और प्रेरक महिलाओं के बारे में है. बीबीसी हर साल इस सिरीज़ में उन महिलाओं की कहानी बयान करता है.
2018 महिलाओं के लिए एक अहम वर्ष रहा है. इस बार बीबीसी 100 वुमन में आप पढ़ेंगे उन पथ-प्रदर्शक महिलाओं की कहानियां जो अपने हौसले और जुनून से अपने आस-पड़ोस में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं.
वसुंधरा राजे सिंधिया और रमन सिंह ने मंगलवार की शाम चुनावी नतीजे आने के बाद हार स्वीकार करते हुए इस्तीफ़े की घोषणा कर दी थी. इंतज़ार था 13 सालों से मध्य प्रदेश की सत्ता पर क़ाबिज़ शिवराज सिंह चौहान का.
मध्य प्रदेश की मतगणना 12 दिसंबर की सुबह आठ बजे तक चली. पूरी रात ऐसा लगता रहा कि कहीं बड़ा उलटफेर ना हो जाए. सवा आठ बजे स्थिति साफ़ हो गई. किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला. कांग्रेस और बीजेपी के बीच महज़ पांच सीटों का फ़र्क रहा.
ऐसा लग रहा था कि बीजेपी इतनी जल्दी हार नहीं मानेगी और सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है. मंगलवार की रात बीजेपी के मध्य प्रदेश प्रमुख राकेश सिंह ने एक ट्वीट कर इन क़यासों को और हवा दी. राकेश सिंह ने ट्वीट किया कि किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है और बीजेपी निर्दलीय विधायकों के संपर्क में है.
लेकिन दिक़्क़त ये थी कि सारे निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिलने के बाद भी बीजेपी बहुमत के जादुई आँकड़ों तक नहीं पहुंच पा रही थी. बीजेपी के 109 और चार निर्दलीय विधायकों को मिलाने के बाद भी संख्या 113 तक ही पहुंच पाती.
मायावती ने अपने दो विधायकों और समाजवादी पार्टी ने एक विधायक का समर्थन कांग्रेस को देने की घोषणा कर दी थी. ऐसे में शिवराज सिंह चौहान के पास कोई विकल्प नहीं बचा था.
सारे विकल्पों को देख चौहान बुधवार ग्यारह बजे दिन में मीडिया के सामने आए और कहा, ''किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है. बीजेपी को कांग्रेस से ज़्यादा वोट मिले लेकिन संख्या बल में हम पिछड़ गए. मैं संख्या बल के सामने सिर झुकाता हूं और अब मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफ़ा देने जा रहा हूं.''
शिवराज सिंह चौहान लगातार 13 सालों से ज़्यादा वक़्त तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. इतने सालों तक मध्य प्रदेश की कमान किसी और के पास नहीं रही.
इस बार भी बीजेपी को उम्मीद थी कि शिवराज सिंह चौहान का नेतृत्व कांग्रेस पर भारी पड़ेगा और बीजेपी लगातार चौथी बार सत्ता में आएगी. इस बात को लगभग सभी लोग मानते हैं कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के क़द का कांग्रेस में कोई नेता नहीं था. इतना कुछ होने के बावजूद भी आख़िर चौहान कहां चूक गए?
ग्वालियर के वरिष्ठ पत्रकार राम विद्रोही का मानना है कि मध्य प्रदेश में यह चौहान की चूक नहीं है बल्कि यह जनादेश केंद्र सरकार की नोटबंदी और ग़लत नीतियों के ख़िलाफ़ है.
विद्रोही कहते हैं, ''नतीजे आने के बाद मैंने कई गांव वालों से बात की. किसी ने शिवराज सिंह चौहान की बुराई नहीं की. सबने चौहान की तारीफ़ की और कहा कि नोटबंदी के कारण उनका नुक़सान हुआ है. नोटबंदी से आम लोग प्रभावित हुए हैं और जीएसटी से मध्य वर्ग. शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व के कारण ही बीजेपी को कांग्रेस से भी ज़्यादा वोट मिले. हम कह सकते हैं कि यह जनादेश शिवराज के चुनाव में मोदी के ख़िलाफ़ है.''

Wednesday, November 28, 2018

فرض قانون الطوارئ في عدد من مناطق أوكرانيا على خلفية التصعيد مع روسيا

كييف - (أ ف ب): وقع الرئيس الأوكراني بترو بوروشنكو أمس الأربعاء قانون الطوارئ الذي يسري على المناطق الحدودية على خلفية التوتر مع روسيا إثر احتجازها ثلاث سفن حربية أوكرانية فيما دفعت هذه الازمة بالرئيس الأمريكي إلى التهديد بإلغاء لقاء مع نظيره الروسي. 
لكن الكرملين أعلن أمس الاربعاء أن اللقاء بين الرئيسين فلاديمير بوتين ودونالد ترامب المرتقب عقده على هامش قمة مجموعة العشرين في الارجنتين في نهاية الاسبوع لا يزال قيد التحضير. وأعلن الرئيس الروسي فلاديمير بوتين الاربعاء أن خفر السواحل الروسي أدى «واجبه العسكري». وقال خلال منتدى اقتصادي في موسكو «أدوا واجبهم العسكري بشكل مثالي وبدقة، في حماية حدود روسيا» مبررا تحركهم بأن أفراد الطواقم الاوكرانية لم يردوا على تحذيرات القوات الروسية. 
وأكد المتحدث باسم الرئيس الاوكراني أن بوروشنكو وقع قانون الطوارئ الذي يفرض مدة ثلاثين يوما في عشر مناطق على الحدود مع روسيا والبحر الاسود وبحر آزوف. ويأتي ذلك بعدما حذر الرئيس الاوكراني من حشد للقوات الروسية قرب الحدود الاوكرانية، في تصعيد يعتبر الاسوأ منذ سنوات بين البلدين. 
وكتب المتحدث الرئاسي الاوكراني سفياتوسلاف تسيغولكو على فيسبوك أن «الرئيس بوروشنكو وقع القانون» في إشارة إلى القانون الذي صادق عليه البرلمان الأوكراني الاثنين بعد حادث الاحد بين خفر السواحل الروسي والبحرية الاوكرانية. وتُواجه كييف وموسكو أسوأ أزمة منذ سنوات، بعد احتجاز القوّات الروسية ثلاث سفن أوكرانيّة الأحد إثر اتّهامها بدخول المياه الروسيّة بشكل غير شرعي قبالة سواحل القرم في بحر آزوف. 
واتهمت دول غربية روسيا بالتصرف بشكل غير مشروع عبر احتجاز السفن الثلاث فيما قال ترامب انه ينظر في احتمال الغاء لقائه المرتقب مع بوتين خلال قمة مجموعة العشرين في بوينوس آيرس. وقال ترامب إنه سيتخذ قرارا نهائيا بعد الاستماع إلى تقرير من مستشاري الامن القومي حول الحادث الذي وقع الاحد بين روسيا واوكرانيا. وأوضح ترامب لصحيفة «واشنطن بوست» أنه «سيكون ذلك حاسما، وربما لن أعقد اللقاء». 
لكن المتحدث باسم الكرملين ديمتري بيسكوف أعلن امس ان «التحضير للقاء مستمر. تم الاتفاق على عقد اللقاء. لا نملك أي معلومات أخرى من زملائنا الأمريكيين». ووضع 15 بحارا أوكرانيا من أصل 24 تم احتجازهم، الثلاثاء قيد الحجز الاحتياطي المؤقت حتى 25 يناير بتهمة عبور الحدود الروسية بشكل غير شرعي، وسيمثل الاخرون امام القضاء الاربعاء. 
اتهم الرئيس الأوكراني بترو بوروشنكو روسيا الثلاثاء بزيادة انتشارها العسكري بشكل كبير على الحدود الأوكرانية، محذرا من خطر نشوب «حرب شاملة». وصرح في مقابلة تلفزيونية بأن «عدد الدبابات الروسية في القواعد الموجودة على طول الحدود ازداد ثلاثة أضعاف»، مضيفا أن «عدد الوحدات التي نشرت على طول حدودنا تزايد بشكل كبير». وتابع أن الحشد العسكري يعني أن البلاد «تتعرض لتهديد اندلاع حرب شاملة مع روسيا». 
وصرّح رئيس الوزراء الأوكراني فولوديمير غرويسمان في مستهلّ جلسة حكومية أمس الأربعاء «يجب أن نكون جميعًا مستعدين لصدّ عدوان من عدوتنا التي كانت منذ وقت قليل» فقط «جارتنا». 
وأكدت السلطات الأوكرانية مرات عدة أن قانون الطوارئ الذي يُتيح لها أن تقوم بتعبئة مواطنيها وتنظيم وسائل الإعلام والحدّ من التجمّعات العامّة، لديه طابع «وقائي» بشكل أساسي. 

Monday, November 12, 2018

रत खोलते समय रखें इन नियमों का खास ख्याल, मां झट से होगी प्रसन्न

चाय के साथ कुछ क्रिस्पी और टेस्टी सर्व करना चाहते हैं तो इस बार चीज बॉल्स बनाकर देखें। खास बात यह है कि इनको आप अपनी पार्टी के मेन्यू में भी शामिल कर सकते हैं। इसका स्वाद बच्चाें को खूब पसंद आता है।आइए जानते हैं क्या है इसे बनाने की आसान रेसिपी। सामग्री
उबले आलू : पांच
मोजरेला चीज : एक कप
बारीक कटी मिर्च : तीन
कटा हुआ अदरक : आधा चम्मच
बारीक कटा लहसुन : एक चम्मच 
लाल मिर्च पाउडर : आधा चम्मच
हल्दी पाउडर : आधा चम्मच
बारीक हरा धनिया : दो चम्मच
ब्रेड का चुरा : दो चम्मच 
नमक : स्वादानुसार
तेल : आवश्यकतानुसार उबले हुए आलू के छिलके को  निकलकर उसे अच्छे से मसल लें। अब इसमें हरी मिर्च, अदरक, लहसुन, लाल मिर्च पाउडर, धनिया की पत्ती, नमक और ब्रेड का चूरा डालकर मिलाएं। कड़ाही में तेल गर्म करें। आलू के मिश्रण को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट ले और उनकी छोटी-छोटी लोई बनाएं। हाथ में थोड़ा-सा तेल लगाकर लोई को गोल आकर दें और उसके बीच में उंगली से थोड़ा-सा दबाएं। इसमे मोजरेला चीज को कद्दूकस करके लोई में भर दे और लोई को अच्छे से ढक दें और गोल कर लें। कड़ाही में तेल गर्म होने पर उसमें लोई डालें और हल्की आंच में भूरे होने तक पकाएं। जब यह पक जाए, तो गरमागरम पोटैटो चीज बॉल्स को सॉस के साथ परोसें।नवरात्र में पूजा-पाठ के नियमों का पालन करने के साथ-साथ, जो आहार आप ग्रहण कर रहे हैं, उसके नियमों का पालन करना भी जरूरी है। ऐसा करने से शरीर को पोषण भी पूरा मिलता है आैर आपका चित्त भी सही रहता है।

नवरात्र के नौ दिन जीवन साधने की कला के दिन हैं, ताकि जीवन सार्थक हो सके। नवरात्र में देवी की साधना और अाध्यात्म का अद्भुत संगम होता है।  लोग अपनी मनोकामना पूरी करने और देवी मां को खुश करने के लिए व्रत रखते हैं। कुछ श्रद्धालु प्रथम और अंतिम दिन का व्रत रखते हैं, जबकि कई भक्त पूरे नवरात्र का व्रत करते हैं। अब सवाल यह उठता है कि व्रत में खानपान किस प्रकार का होना चाहिए, ताकि व्रत करने से स्वास्थ्य पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़े।आयुर्वेद की मानें, तो इस बदलते मौसम में हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता अपने आप कमजोर हो जाती है। इसलिए उपवास के माध्यम से हल्का व सुपाच्य आहार लेकर आप अपने शरीर और मन दोनों को नई ऊर्जा से भर सकती हैं। उपवास के दौरान शरीर में विषैले तत्वों का जमाव बंद हो जाता है और शरीर में पहले से जमे हुए विषैले तत्व तेजी से बाहर निकलने लगते हैं। यही शरीर का `डिटॉक्सीफिकेशन’ कहलाता है। इससे शरीर चुस्त-दुरुस्त और हल्का लगने लगता है।डाइटिशियन सोनिया नारंग कहती हैं कि नवरात्र में नौ दिन का व्रत प्राय: सभी लोग रखते हैं। मगर कुछ लोग ही सही डाइट को फॉलो कर पाते हैं। नतीजा दो-तीन दिन के बाद ही तबीयत बिगड़ने लगती है। डिहाड्रेशन, बदहजमी, सिर दर्द आदि की समस्या होने लगती है। लेकिन सही समय पर सही डाइट लेकर आप नवरात्र का व्रत कर सक
 
अगर आप व्रत के दौरान अपना वजन नहीं बढ़ाना चाहती हैं, तो आलू या आलू के चिप्स खाने की बजाए ताजे फल-सब्जियों की सलाद खाएं। व्रत के दौरान तला-भुना खाने से बचें। नमकीन और पकौड़े खाने की बजाए रोस्टेड मखाने का प्रयोग करें। आप रोजमर्रा से अलग संतुलित और नियंत्रित, पौष्टिक और हल्का खाना खाएंगे, तो शरीर और मन दोनों को नई ऊर्जा मिलेगी। इस बात का जरूर ध्यान रखें कि उपवास में खाने के बीच लंबा अंतराल न रहे।    
ती हैं। उपवास के दौरान डिहाइड्रेशन से बचने के लिए लिक्विड डाइट ज्यादा लें। इनमें पानी, जूस, छाछ, नारियल  पानी, नींबू पानी के साथ दूध आदि भी शामिल करें।डाइटिशियन का कहना है कि तरल पदार्थ की सही मात्रा शरीर को हल्का रखने के साथ आवश्यक मिनरल्स व विटामिन्स के जरिये ऊर्जा भी देती रहेगी, जिससे आप थकावट व आलस का अनुभव नहीं करेंगी। हल्के ठोस आहार के रूप में आप सेंधा नमक वाली साबूदाने की खिचड़ी का प्रयोग कर सकती हैं। कार्बोहाइड्रेट से भरपूर साबूदाना तुरंत ऊर्जा देने में सक्षम है। बीच-बीच में खाने के लिए फलों की चाट भी फायदेमंद है, क्योंकि फलों में कैलोरीज कम होती हैं और इनमें कार्बोहाइड्रेट और फाइबर प्रचुर मात्रा में होते हैं। सेब, अनार, केला, पपीता, खजूर का सेवन करें। इसके साथ ही लौकी और उबले आलू का प्रयोग फलाहार के रूप में कर सकती हैं।दूध से बनी हुई चीजें उपवास में विशेष रूप से खाएं। व्रत में कूट्टू, सिंघाड़े के आटे की रोटी बनाकर हरी चटनी के साथ खाने का आनंद लें। सीताफल की सब्जी व सावां  के चावल की खिचड़ी दही के साथ खा सकती हैं। व्रत के दौरान ताजा दही आप ले सकती हैं। दही का प्रोटीन गुणकारी होता है। इससे 60 कैलोरी ऊर्जा मिलती है। इसीलिए व्रत में थोड़ा-सा दही खाने से भी पेट भरा लगता है। दही खाने से प्यास भी अधिक नहीं लगती।

Wednesday, October 10, 2018

गुजरात में हुई हिंसा और पलायन पर वहां के बिहारी क्या सोचते हैं?

जरात के साबरकांठा ज़िले के हिम्मतनगर में कथित रूप से हुए बलात्कार के बाद यहां से बिहार-यूपी के लोगों का पलायन जारी है.
इस मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं. गुजरात में रहने वाले बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों पर हमले हो रहे हैं.
इस बारे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी से बात की और घटना पर चिंता व्यक्त की है.
राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने इस मुद्दे पर कहा है कि जो भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा.
28 सितंबर को हिम्मतनगर के एक गांव में 14 साल की एक बच्ची का कथित रूप से बलात्कार किया गया था. मामले में बिहार के रहने वाले एक शख़्स को गिरफ्तार किया गया था.
यूपी-बिहार के लोगों पर हमला करने वालों के ख़िलाफ़ पुलिस की कार्रवाई में कम से कम 361 लोग गिरफ़्तार किए गए हैं.
साबरकांठा ज़िले के अलावा गुजरात के कई शहरों में दहशत का माहौल है.स मुद्दे पर राजनीतिक विश्लेषक हरि देसाई कहते हैं, "मैं स्पष्ट तरीके से ये मानता हूं कि यह पूरा मुद्दा राजनीतिक है. इस मुद्दे में राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि वो राज्य में कानून-व्यवस्था कायम रखे."
वो कहते हैं कि जिस सरकार को ये लगता है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर लोगों को भड़का रही है तो वो इसे रोकने के लिए कदम क्यों नहीं उठा रही है.
हरि देसाई कहते हैं कि गुजरात ने कभी भी, किसी भी दूसरे राज्य के लोगों को अलग नहीं माना है. चुनाव आ रहे हैं और मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यह सबकुछ योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है.
गुजरात के विभिन्न शहरों में बसे उत्तर भारतीय अलग-अलग सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं के साथ जुड़े हैं.
हिंदी विकास मंच एक ऐसी ही संस्था है. मंच के संस्थापक जीतेंद्र राय गुजरात में दशकों से रह रहे हैं. उनका कहना है कि ये मुद्दा अब राजनीतिक हो चला है जिसके निशाने पर उत्तर भारतीय हैं.
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, "देश के हिंदी भाषी राज्यों में चुनाव होने हैं और इन हमलों से शायद ये संदेश देने की कोशिश हो रही है कि गुजरात में हिंदी भाषी सुरक्षित नहीं हैं."
"गुजरात में दूसरे राज्यों के लोगों के साथ ग़लत व्यवहार कभी भी नहीं हुआ है. मुझे नहीं लगता कि इस मुद्दे को लेकर कोई भी इंसान ज़्यादा समय तक राजनीति कर पाएगा."
वो कहते हैं कि हर समाज में असामाजिक तत्व होते हैं. एक व्यक्ति के कारण पूरे समाज को दंडित करना न्यायोचित नहीं है.
हम सालों से गुजरात में रह रहे हैं पर इस तरह का माहौल हमने कभी नहीं देखा. अफवाहों के कारण लोगों में डर का माहौल है.
दूसरे राज्य से आए लोगों पर हमले हुए हैं, इस बात को नकारा नहीं जा सकता है, लेकिन उससे ख़राब परिस्थिति ये है कि वो अफवाहों के कारण घर वापस लौट रहे हैं.
बिहार सांस्कृतिक मंड वडोदरा में बसे हुए उत्तर भारतीयों की एक संस्था है. इस संस्था के पूर्व अध्यक्ष डीएन ठाकुर का ये मानना है कि इस घटना के पीछे राजनीतिक हाथ है.
उनका कहना है कि उत्तर भारतीयों पर निशाना साध कर राजनीति से जुड़े लोग अपना व्यक्तिगत राजनैतिक हित साधने में लगे हैं.
"मैं 1983 से वडोदरा शहर में रह रहा हूं. हमारी संस्था के साथ 20 हज़ार लोग जुड़े हैं. गुजरात में हमें बहुत सहयोग मिला है. छठ पूजा में कम से कम एक लाख लोग हमारे साथ जुड़ते हैं जिसमें से सबसे बड़ा सहयोग गुजरातियों से मिलता है. नई बनती इमारतों से लेकर पुल निर्माण तक में हमारे लोगों ने योगदान दिया है. हमने गुजरात को बहुत कुछ दिया है और गुजरात
समाजशास्त्रियों का मानना है कि राज्य की स्थापना से लेकर अब तक राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास में यूपी-बिहार के लोगों ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
समाजशास्त्री डॉक्टर गौरांग जानी का कहना है, "राज्य की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में यूपी-बिहार के लोगों ने बहुत बड़ा योगदान दिया है. अहमदाबाद में एक समय 80 से ज़्यादा कपड़े के मिल हुआ करते थे और इन मिलों में दूसरे राज्यों के लोग काम करते थे. अहमदाबाद में जब ये मिल बंद हुए तब सूरत में पावरलूम उद्योग शुरू हुआ और इन कारखानों में दूसरे राज्य के लोगों का अहम योगदान रहा है. इस तरह की घटना से राज्य की सामाजिक समरसता पर दाग लगा है."
जानी का कहना है कि राज्य में एक तरफ देश के रजवाड़ों को साथ लाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का लोकार्पण किया जाएगा, दूसरी तरफ देश के दूसरे राज्य के लोगों पर हमले हो रहे हैं, इससे जो संदेश पूरे देश में गया है उस पर विचार करना चाहिए. सरदार पटेल एकता और अखंडता के हिमायती थे और गुजरात में इस तरह की घटना का होना दुखद है.
जानी कहते हैं, "गुजरात में दूसरे राज्य के रहने वाले वैसे तो देश के नागरिक हैं और प्रवासी नियमों के तहत उन्हें यह अधिकार है कि वो देश के किसी भी कोने में जा कर बस सकते हैं और नौकरी-पेशा कर सकते हैं. सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि वो इन्हें सुरक्षा मुहैया कराए और उसकी यह भी ज़िम्मेदारी है कि वो उनमें सुरक्षा की भावना पैदा करे."
से भी हमें बहुत प्रेम मिला है. एक घटना के कारण तमाम दूसरे राज्य के लोगों को निशाना बनाना ग़लत है."
बिहार के एक शख़्स ने कथित तौर पर 14 साल की एक लड़की से बलात्कार किया जिसके बाद हिम्मतनगर सहित राज्य के दूसरे शहरों में रहने वाले यूपी-बिहार के लोगों पर हमले हो रहे हैं.
मामले में बिहार के रहने वाले रविंद्र साहू को अभियुक्त बनाया गया है. हिंसा की घटना के बाद राज्य के आठ ज़िलों में यूपी-बिहार के लोगों पर हमले हुए हैं. पुलिस का कहना है कि इस घटना को लेकर 57 केस दर्ज किए गए हैं और 361 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
इन इलाक़ों में दहशत का माहौल है और सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज इस माहौल में घी डालने का काम कर रहे हैं. इसी डर के माहौल में अपनी सुरक्षा के लिए बिहार-यूपी के लोग राज्य छोड़ कर अपने घर वापस लौट रहे हैं.

Friday, September 14, 2018

中国东部化工厂兴建项目获得批准

南方周末》报道说,跨国化工公司美国杜邦集团在山东省东营市的化工厂兴建项目获得批准,引发环保人士的愤怒。 该化工厂建址东营市,兴建项目获得了市政府大力支持。等明年工厂投产后,预计它将给东营市每年增加5亿元(约合6770万美元)税收,并创造600个就业岗位。

但环保人士警告说,该工厂采用高耗能、高污染的生产方式,并将通过深井灌注方式将废液注入黄河三角洲下数千米的地层。
英国《卫报》周四报道说, 多年来一直反对抗击全球变暖提议的美国总统布什日前已签署通过了一气候变化法案而使其成为法律。该新法中提出了对新车燃油使用率更高标准的要求。
布什总统将该法案称做为“迈向能源独立和全球暖化缓解的重大一步”。

据报道, 环保主义者们对美国最终采取一系列绿色政策表示欢迎, 但他们同时警告说, 这些政策尚有局限性, 在未来几年并不能贯彻实施。
该法律的其他措施有提高70%节能灯的使用, 以及冰箱、冰柜和洗碗机的能效。新华社》周三报道说,中国东部沿海山东省希望通过向海底投石堆筑5.5至30平方公里的人造礁来快速增加锐减的鱼群数量。 《新华社》报道说,在过去40年间,中国东海岸的污染和过度捕鱼导致了鱼群数量的锐减。

报道引据山东省海洋与渔业厅说,第一批人造礁石于两年前堆筑并带来了225吨的渔获物增量。

海洋与渔业厅官员说道:“去年我们在人造礁下面发现茂盛的水藻丛,今年水草资源终于大幅增加了。”路透社》周三引据中国农业部报道说,为提高食品安全,中国将取消数千种杀虫剂的使用。 报道称,中国杀虫剂市场很不规范,售有16,000个品牌的23,000种产品,农民们常常对此感到困惑。

农业部官员王守聪说道:“目前通常使用的杀虫剂有1,700余种,但是其他不为人熟知的产品则不计其数。”
《路透社》周一引据一份广泛的民意调查报道说,香港绝大多数民众愿意通过支付道路交通费等措施抗击空气污染。
81,000名接受调查的人中,77% 表示为了清洁空气,他们愿意支付由使用更节能的车型和燃料带来的交通费用的增加。

报道引据“可持续发展理事会”主席 新华社》报道说,中国正着手对有关买家劝说中国西南部村民捕杀大熊猫并进行大熊猫皮毛交易的报道进行调查。 《新华社》引据《南方周末》报道说,一些神秘买家正劝说四川省雅安市熊猫保护区附近的村民捕杀大熊猫以获取其皮毛。

国家林业局发言人曹清尧说道:“我们已派出一个工作组对该调查进行监督,并将对涉案人提起公诉。”

据称,一只大熊猫的皮毛售价能高达 , 元(合约 , 美元)。新华社》报道说,著名电影导演张艺谋及“中外对话”撰稿人汪永晨等九人荣获2007“绿色中国年度人物”奖。该奖项由政府颁发,旨在奖励“积极参与环保行动”的环保人物。 据报道,今年发生了一系列严重的水污染事件,因而此次“绿色中国年度人物”奖重点聚焦了水污染。

汪永晨是中国中央人民广播电台记者。她于1996年创办了“绿家园志愿者”民间环保群体,致力于为中国环境保护奔走呼号,影响巨大。

张艺谋导演在“电影拍摄中遵循了环保原则。他在执导的2008年北京奥运会开幕式和闭幕式演出中着重突出了环境议题。,香港应设立一个清洁环境的“超基金”。

他说:“据我们计算,清洁环境将花费200至300亿港币(约合25至38亿美元)。”新华社》周二报道说,中国正起草畜禽屠宰新条例以使屠宰过程更为人道。 《新华社》报道说,中国中部的河南省已成为全国首个人道屠宰试点。新屠宰方式包括先将动物“致昏”、使其失去痛觉、再放血使其死亡,以及使用塑料拍、而不是低压电击棒赶猪。

报道引据畜禽屠宰管理办公室说:“中国肉质情况已引起国际关注,因此中国政府采取了一系列特别措施以解决该问题。”国家媒体周一报道,国家发展和改革委员会向中国中部湖南省人民政府下达通知,批准中国中部湖南省武汉城市圈为全国首个资源节约型和环境友好型社会建设综合改革配套试验区。 报道引据湖南省政府官员称,长沙、株洲、湘潭和武汉等地区在规划之列的原因是,它们均地处中国的工业心脏地带,其发展却饱受资源匮乏和环境污染的困扰

动物福利机构曾指责中国对待牲畜的做法,包括通过畜牧熊获取胆汁和养狗以取其肉等。

他说:“我们必须控制非主流的杀虫剂,以保证出口农产品的安全。”

Thursday, September 6, 2018

电子产品使电力需求增加

据美联社报道,位于巴黎的能源监管系统警告,包括MP3播放器、手机和液晶电视在内的数码产品的电力需求急遽增加。国际能源组织估计,到2030年,新的电子产品的能源消耗增加两倍,即高达1700千瓦时,相当于目前美国与日本家电耗损的能源总和。

根据国际能源组织的说法,全球必须在2030年前新建约两百座的核电厂,才能满足电视、ipod、个人电脑及其它数码产品所需的电力。同时,他们指出全球将为此付出高达每年两百万美金的电费。

国际能源组织的资深政策分析家保罗.怀特提到,电子消费是“成长最快而(控制能源效率的)相关政策最缺乏的领域”。怀特补充说,大部分电子消费的增加将出现在经济成长最快速、电子产品拥有率最低的发展中国家,而这将会危及能源安全和导致全球变暖的温室气体减排的努力成果。

国际能源组织估计,在不耗成本的情况下,当前的科技可削减30%以上的数码产品能源消耗,若花费小额成本就可以削减50%以上。怀特指出可以采取一些简易可行的办法来降低能源损耗,比如说让消费者自行管理电子产品的能源消耗。同时,他认为政府可更进一步推动最低效能标准和简明易懂的能源标记,使消费者能在选择产品时将能源效率问题考虑在内。
据路透社报道,本周三联合国对海域主权声明的受理截止。全球已经面临着数十个有争议的海底主权声明,从中国的南海一直到北极。这一截止日期也标志着联合国委员会将对海上边界的大陆架界限做出最终决定。

为了限制国家对海底资源利用的权利,包括石油、天然气和生物,大多数沿海国家都需要确定其大陆架(即沿岸浅水区)到陆地的范围。

联合国委员会的副主席哈拉尔•布雷克称:“ 这次界定将会把海洋界限确定下来,这是世界地图的最后大调整”。48个国家已经提出了完全主权要求,更多国家已经做了初步妥协;也有一些国家之间的主权要求重叠。2007年,俄罗斯通过一艘小型潜艇在北极下面的海床插了一面国旗,做了最壮观的主权要求。而丹麦也已经声称他们要这片区域的主权。

其他比较突出的领土争端包括中国和其周边国家对于南海的主权之争。中国外交部发言人马朝旭在谈到国家,包括马来西亚,越南和菲律宾对此区域的主权之争时说:“中国对于中国南海以及其附近海域拥有不可争议的主权。”(但是据布雷克说,联合国委员会尚不能决定该争议区域的海床拥有权)

根据联合国现有公约,大陆架自然延伸200海里的为一国领海范围,临海国家可以开发该区域的海底资源。然而至少迄今为之,确定的界限还没有在地图上标出来。在很长一段时间里,遥远的海底被认为几乎没有商业价值,但是这样的想法已经改变了。比如说,使得北极冰融化的全球变暖现象和更好的钻探技术都让人们对海底产生了新的兴趣。

Monday, September 3, 2018

कोर्ट के फैसले से उठा सवाल, क्या गीता, कुरान और बाइबल पर लगेगा टैक्स?

आध्यात्मिक ज्ञान जरूरी नहीं कि टैक्स से मुक्त हो. महाराष्ट्र में जीएसटी कोर्ट ने फैसला दिया है कि अब धार्मिक ग्रंथ, धार्मिक मैगजीन और डीवीडी के साथ-साथ धर्मशाला और लंगर जीएसटी के दायरे में होंगे. कोर्ट की दलील है कि इन वस्तुओं की बिक्री एक कारोबार है और इन्हें खैरात मानते हुए टैक्स से मुक्त नहीं किया जा सकता है.
महाराष्ट्र की कोर्ट के पास टैक्स संबंधी यह मामला श्रीमद राजचंद्र आध्यात्मिक सत्संग साधना केन्द्र के खिलाफ आया. कोर्ट के सामने संस्था ने दलील दी कि उसका प्रमुख काम धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा का प्रसार है लिहाजा उसके काम को कारोबार की संज्ञा नहीं दी जानी चाहिए.
गौरतलब है कि सीजीएसटी एक्ट के सेक्शन 2(17) के तहत यदि धर्म से जुड़े ट्रस्ट ऐसे किसी काम का सहारा लेते हैं जहां किसी वस्तु अथवा सेवा के लिए पैसा लिया जाता है तो उसे कारोबार की श्रेणी ने रखा जाएगा और उसपर 18 फीसदी की दर से जीएसटी वसूला जाएगा.पनी दलील के साथ संस्था ने दावा किया कि धार्मिक प्रसार के अपने प्रमुख दायित्व को निभाने में वह धार्मिक ग्रंथ, मैगजीन, म्यूजिक सीडी समेत धर्मशाला और लंगर लगाने के काम को करता है, लिहाजा उसे जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाए.
श्रीमद राजचंद्र आध्यात्मिक सत्संग साधना केन्द्र की दलील पर गौर करने के बाद महाराष्ट्री की जीएसटी कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि शिबिर सत्संग धर्मार्थ संस्था के तौर पर इनकम टैक्स के सेक्शन 12 एए के तहत रजिस्टर्ड है. ऐसी स्थिति में उसके धर्मार्थ कामों को जीएसटी के दायरे से बाहर नहीं किया जा सकता है.
गौरतलब है कि जीएसटी एक्ट में महज धार्मिक किताबों का जिक्र किया गया है. लेकिन धार्मिक किताब को किसी तरह से वर्गीकृत  नहीं किया गया है. लिहाजा, ऐसी स्थिति में साफ है कि महाराष्ट्र के इस फैसले के बाद यदि कोई धार्मिक संस्था अथवा ट्रस्ट धार्मिक ग्रंथों की बिक्री करती है तो उसे जीएसटी अदा करना होगा. हालांकि एक्ट में जिक्र है कि यदि कोई संस्था ग्रंथ/किताब/मैजगीन को किसी पब्लिक लाइब्रेरी के तहत लोगों के उपयोग के लिए रखती है तो ऐसी स्थिति में उसे जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाएगा.
लिहाजा, अब कोई धार्मिक संस्था श्रीमद भागवत गीता, कुरान अथवा बाइबल जैसे धार्मिक ग्रंथों की बिक्री करता है तो उसे जीएसटी के दायरे में रखा जाएगा.
पंजाब के पटियाला में गुरु-शिष्य के रिश्तों को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. यहां सरकारी इंटर कॉलेज की प्रिंसिपल अपने ही स्कूल में पढ़ने वाले 12वीं के छात्र से जबरन शारीरिक संबंध बनाती थी. छात्र के परिजनों की शिकायत के बाद से आरोपी प्रिंसिपल फरार है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामला राजपुरा क्षेत्र के एक गांव का है. पीड़ित छात्र ने पुलिस को बताया कि स्कूल की प्रिंसिपल ने एक बार उसे अपने घर बुलाया. वहां पर उन्होंने जबरन उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए. जिसके बाद वह अक्सर उसके साथ छेड़छाड़ करने लगी. वह उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देकर संबंध बनाती थी.
पीड़ित ने बताया कि एक बार उसने संबंध बनाने से इनकार किया तो प्रिंसिपल ने स्‍कूल से उसका नाम काट दिया और फिर से नाम लिखने के लिए शारीरिक संबंध बनाने की शर्त रखी. थक-हारकर छात्र ने परिजनों को इसके बारे में बताया. मामले का खुलासा होते ही इलाके में हड़कंप मच गया.
पुलिस के साथ-साथ शिक्षा विभाग ने भी मामले की जांच शुरू की. घटना के उजागर होने के बाद से प्रिंसिपल गायब है. उसका फोन स्विच ऑफ है. सर्किल एजुकेशन ऑफिसर ने बताया कि पीड़ित छात्र के बयानों के आधार पर इसकी एक रिपोर्ट शिक्षा सचिव को भेज दी है.
वहीं शिक्षा विभाग के उचित कार्रवाई के आश्वासन के बाद पीड़ित परिवार ने पुलिस में दर्ज शिकायत वापस ले ली है. परिजनों का कहना है कि शिकायत अब शिक्षा विभाग को दी है और जांच चल रही है. अगर विभाग के अधिकारियों ने इस मामले में लापरवाही की तो फिर वह अगला कदम उठाएंगे.

GST कोर्ट के फैसले से उठा सवाल, क्या गीता, कुरान और बाइबल पर लगेगा टैक्स?

आध्यात्मिक ज्ञान जरूरी नहीं कि टैक्स से मुक्त हो. महाराष्ट्र में जीएसटी कोर्ट ने फैसला दिया है कि अब धार्मिक ग्रंथ, धार्मिक मैगजीन और डीवीडी के साथ-साथ धर्मशाला और लंगर जीएसटी के दायरे में होंगे. कोर्ट की दलील है कि इन वस्तुओं की बिक्री एक कारोबार है और इन्हें खैरात मानते हुए टैक्स से मुक्त नहीं किया जा सकता है.
महाराष्ट्र की कोर्ट के पास टैक्स संबंधी यह मामला श्रीमद राजचंद्र आध्यात्मिक सत्संग साधना केन्द्र के खिलाफ आया. कोर्ट के सामने संस्था ने दलील दी कि उसका प्रमुख काम धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा का प्रसार है लिहाजा उसके काम को कारोबार की संज्ञा नहीं दी जानी चाहिए.
गौरतलब है कि सीजीएसटी एक्ट के सेक्शन 2(17) के तहत यदि धर्म से जुड़े ट्रस्ट ऐसे किसी काम का सहारा लेते हैं जहां किसी वस्तु अथवा सेवा के लिए पैसा लिया जाता है तो उसे कारोबार की श्रेणी ने रखा जाएगा और उसपर 18 फीसदी की दर से जीएसटी वसूला जाएगा. sexual
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अपनी दलील के साथ संस्था ने दावा किया कि धार्मिक प्रसार के अपने प्रमुख दायित्व को निभाने में वह धार्मिक ग्रंथ, मैगजीन, म्यूजिक सीडी समेत धर्मशाला और लंगर लगाने के काम को करता है, लिहाजा उसे जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाए.
श्रीमद राजचंद्र आध्यात्मिक सत्संग साधना केन्द्र की दलील पर गौर करने के बाद महाराष्ट्री की जीएसटी कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि शिबिर सत्संग धर्मार्थ संस्था के तौर पर इनकम टैक्स के सेक्शन 12 एए के तहत रजिस्टर्ड है. ऐसी स्थिति में उसके धर्मार्थ कामों को जीएसटी के दायरे से बाहर नहीं किया जा सकता है.
गौरतलब है कि जीएसटी एक्ट में महज धार्मिक किताबों का जिक्र किया गया है. लेकिन धार्मिक किताब को किसी तरह से वर्गीकृत  नहीं किया गया है. लिहाजा, ऐसी स्थिति में साफ है कि महाराष्ट्र के इस फैसले के बाद यदि कोई धार्मिक संस्था अथवा ट्रस्ट धार्मिक ग्रंथों की बिक्री करती है तो उसे जीएसटी अदा करना होगा. हालांकि एक्ट में जिक्र है कि यदि कोई संस्था ग्रंथ/किताब/मैजगीन को किसी पब्लिक लाइब्रेरी के तहत लोगों के उपयोग के लिए रखती है तो ऐसी स्थिति में उसे जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाएगा. sex
लिहाजा, अब कोई धार्मिक संस्था श्रीमद भागवत गीता, कुरान अथवा बाइबल जैसे धार्मिक ग्रंथों की बिक्री करता है तो उसे जीएसटी के दायरे में रखा जाएगा.
मध्य प्रदेश की प्रियंका भदोरिया ने शादी से पहले ससुराल वालों के सामने एक ऐसी डिमांड रख दी जिसे सुनकर सबके कान खड़े हो गए.
प्रियंका ने अपने ससुराल वालों से साफ कह दिया कि जब तक वे 10 हजार पौधे नहीं लगाएंगे, वो शादी नहीं करेंगी. ससुराल वालों को ये सुनना थोड़ा अजीब जरूर लगा लेकिन उन्होंने प्रियंका की मांग मान ली और बीते शुक्रवार घूमधाम से उन्होंने प्रियंका के साथ अपने बेटे की शादी करवा दी.
प्रियंका भिंड के किशीपुरा गांव की रहने वाली हैं. जहां शादी से पहले दुल्हन से पूछा जाता है कि उसे क्या चाहिए. आमतौर पर लड़कियां गहने, कपड़े मांगती हैं वहीं प्रियंका ने ये सबकुछ नहीं मांगकर, पेड़ लगाने की शर्त रखी.
प्रियंका 10 साल की उम्र से पौधे लगा रही है और इसे इत्तेफाक ही कहेंगे कि उनकी शादी भी इंटरनेशनल अर्थ डे के दिन ही हुई.sex
प्रियंका के पति रवि चौहान भी अपनी पत्नी की सूझबूझ से काफी खुश है. उन्हें खुशी है कि उनकी पत्नी पर्यावरण के प्रति इतनी सजग हैं. प्रियंका चाहती हैं कि 10 हजार पौधे की शर्त में से पांच हजार पौधे उनके मायके में लगाए जाएं और पांच हजार उनके ससुराल में. आज जहां देश का एक बड़ा हिस्सा सूखे से प्रभावित है ऐसे में प्रियंका की ये पहल वाकई एक जरूरी और बेहतरीन प्रयास है.

Saturday, September 1, 2018

七成中药检出农药残留

绿色和平的一份报告显示,在65个抽检的中草药样品中,七成检出农药残留,21个样品检出超过十种农药残留,当中不乏已被国家列为禁用的农药品种。抽检中草药样品的农药残留量达到世界卫生组织所规定的极度危险级别,有的农药残留量超出欧盟农药最大残留量标准百倍。

此次被抽检的中草药购于同仁堂、云南白药、采芝林等国内知名的九家连锁药店,其中包括枸杞、金银花、三七花和贡菊等常用药材。

绿色和平食品与农业项目主任王婧说,中药材为全球数以百万计的人们所信任并奉为具有药用疗效的食材,“中草药应当是有治疗功效而非有害,因此必须不能有农药残留。”

因长期食用含有农药残留的食品而积累在体内的有毒化学物质,将对健康造成极大的损害,这些毒害物质将导致学习障碍、内分泌紊乱及生育能力异常等问题。

王婧认为,此次检测结果暴露了当前中国工业化的农业生产模式的问题,“此农业生产模式是以人体和环境的健康为代价,过度依赖有毒的农药。”据绿色和平的报告,本次抽检结果同样在一定程度上反映了政府缺乏农药减量的决心、对生态农业投入不足。

目前化肥及农药的使用已造成占中国耕地总面积10-13%的耕地面积被严重污染。中国的农药残留标准远低于他国。

这份报告所披露的中国农药残留问题仅是冰山一角。今年早些时候,有报道称山东农民在种植生姜时用了剧毒农药。去年底,日本一家食品公司在食品安全检测中检出农药残留,从而召回了四十万盒中国茶叶。

王婧说,农药的过度使用将酿成不可扭转的食品安全、生态和环境危机。“只有政府下决心实施严格的农药减量政策,引导化学农业向生态农业转型,才能从根本上解决层出不穷的食品安全问题。”

Tuesday, August 28, 2018

कैसे संभव हुई मेक्सिको के साथ डोनल्ड ट्रंप की डील

अमरीका और मेक्सिको के बीच 25 साल पुराने उत्तर अमरीका मुक्त व्यापार समझौता 'नाफ़्टा' को लेकर नया समझौता करने का दबाव बढ़ने के बाद दोनों देशों के बीच आपसी सहमति बन गई है.
इस समझौते के प्रमुख आलोचकों में शामिल अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने सोमवार को इस मुद्दे पर बड़ी सफ़लता मिलने की बात कही है.
हालांकि, इस समझौते के नए स्वरूप जिस पर अमरीका और मेक्सिको सहमत हुए हैं, उस पर अब तक कनाडा का रुख़ साफ नहीं हुआ है जबकि वह भी इस समझौते का एक हिस्सा है.
नाफ़्टा से बाहर निकलने की धमकी देने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप बीते एक साल से इस मुद्दे पर चर्चाएं कर रहे थे.
ट्रंप ने इस समझौते को नए सिरे से करने की मांग उठाई थी.
ट्रंप ने अमरीका के मैन्यूफ़ैक्चरिंग क्षेत्र और ख़ासकर ऑटोमोबाइल क्षेत्र की नौकरियों में कमी के लिए पुराने समझौते को ज़िम्मेदार ठहराया था.
लेकिन इस समझौते पर नई सहमति बनने की ख़बर सामने आने के बाद अमरीकी शेयर और मेक्सिको की मुद्रा मज़बूत हुई थी.
ट्रंप ने नए समझौते के बारे में बताते हुए टीवी पर प्रसारित अपने भाषण में कहा है कि अमरीका और मेक्सिको के बीच जिन शर्तों पर सहमति बनी है उसके बाद ये एक बहुत ही 'बढ़िया समझौता' हो गया है जो कि 'सबके लिए पहले से ज़्यादा समान रूप से हितकारी' होगा.
इस मुद्दे पर काम कर रहे वार्ताकार बीते एक साल से नाफ़्टा संधि को एक बार फिर से ड्राफ़्ट कर रहे थे.
लेकिन बीते पांच हफ़्तों से कनाडा ने इस मुद्दे पर चल रही चर्चा में हिस्सा नहीं लिया है.
ट्रंप ने इस मुद्दे पर कहा है, "हम ये देखेंगे कि कनाडा को इसमें शामिल करें या कनाडा के साथ एक अलग डील करें."
ट्रंप ने कनाडा को निर्यात होने वाली कारों पर शुल्क लगाने की बात कहकर कनाडा को चेतावनी दी है.
ट्रंप ने ये भी कहा है कि वह 'नाफ़्टा' नाम से मुक्ति चाहते हैं क्योंकि नाफ़्टा नाम से अशुभ संकेत भी मिलते हैं.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्रंप की घोषणा के बाद अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप से बात की है.
ट्रूडो के दफ़्तर ने इस बातचीत पर बयान जारी किया है जिसके मुताबिक़ दोनों नेताओं के बीच काफ़ी 'रचनात्मक बातचीत हुई है.'
और 'इस हफ़्ते समझौते से जुड़ी बातचीत के लिए दोनों देशों के दल आपसी सहमति बनाने के उद्देश्य से मिलेंगे.'
इस मुद्दे पर बात करने के लिए कनाडा की एक टीम मंगलवार को अमरीकी टीम से मिलेगी.
ट्रूडो ने मेक्सिको के मौजूदा राष्ट्रपति एनरीक़ पेना निएटो से रविवार को बात की है और दोनों नेताओं ने इस मुद्दे पर एक ऐसे मोड़ पर पहुंचने की बात की है जिसमें तीनों देश शामिल हों.
इस डील पर काम कर रहे वार्ताकार मेक्सिको के नव निर्वाचित राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज़ ओब्राडोर के कार्यभार संभालने से पहले ही समझौते को अंतिम रूप देना चाहते हैं.
इसकी वजह ये है कि नव निर्वाचित राष्ट्रपति ओब्राडोर मौजूदा सरकार द्वारा मेक्सिको के ऊर्जा क्षेत्र को खोलने के ख़िलाफ़ रहे हैं.
ऐसे में ओब्राडोर के राष्ट्रपति बनने के बाद समझौते के लिए स्थितियां जटिल हो सकती हैं.
इस समय सीमा में समझौते को पूरा करने के लिए ट्रंप प्रशासन को अमरीकी कांग्रेस के सामने इस समझौते का नया प्रारूप 90 दिन पहले देना होगा और इसके लिए आख़िरी दिन आगामी शुक्रवार है.
हालांकि, निर्वाचित राष्ट्रपति ओब्राडोर ने सोमवार को कहा है कि अमरीका के साथ द्विपक्षीय समझौता सिर्फ़ इस नई संधि की ओर पहला कदम है.
ओब्राडोर कहते हैं, "हम इस बात के इच्छुक हैं कि ये संधि पहले की तरह तीन देशों वाली संधि रहे और फ़्री ट्रेड अग्रीमेंट की रूपरेखा वही होनी चाहिए जिस तरह ये सामने आया था"
कनाडा की विदेश मंत्री क्रिस्टिया फ़्रीलैंड के प्रवक्ता एडम अस्टन ने कहा है कि अमरीका और मेक्सिको के बीच इस मुद्दे को लेकर जो प्रगति हुई है उससे कनाडा काफ़ी उत्साहित है.
अमरीका और कनाडा बीते काफ़ी समय से व्यापार के मुद्दों पर आमने-सामने हैं.
इनमें एक वजह कनाडा द्वारा अपनी डेयरी इंडस्ट्री को संरक्षण दिया जाना और अमरीका द्वारा अपने इस्पात और एल्यूमीनियम क्षेत्र को संरक्षण दिया जाना शामिल है.
प्रवक्ता एडम अस्टन कहते हैं, "हम नए समझौते पर तब हस्ताक्षर करेंगे जब ये कनाडा और मध्यवर्ग के लिए लाभप्रद हो और कनाडा के हस्ताक्षर की ज़रूरत हो."
ट्रंप के साथ टेलीविज़न पर मेक्सिको के राष्ट्रपति के साथ दिखाई गई फ़ोन वार्ता में निएटो ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि इस समझौते में कनाडा का शामिल होना ज़रूरी है.
लेकिन मेक्सिको के विदेश मंत्री लुइस वाइडगारे कहते हैं कि उनका देश अमरीका के साथ द्विपक्षीय डील करने के लिए भी तैयार है.
वॉशिंगटन में एक प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा, "अगर किसी वजह से कनाडा और अमरीका नाफ़्टा समझौते पर हस्ताक्षर नहीं कर पाते हैं तो हमें पहले से पता है कि मेक्सिको और अमरीका के बीच एक दूसरी डील हो जाएगी."